उड़ा के क्या क्या ये राहों में बिछा देती हैं

उड़ा के क्या क्या ये राहों में बिछा देती हैं सफ़र में आँधियाँ कुछ और मज़ा देती हैं   इन्हीं के दम से चिराग़ों में उजाला है मगर यही हवाएँ चिराग़ों को बुझा देती हैं   मैं जानता हूँ कई ख़ामियाँ मुझमें हैं मगर ये ख़ामियाँ ही मुझे मेरा पता देती हैं   तुम्हारे मुख … Continue reading उड़ा के क्या क्या ये राहों में बिछा देती हैं